सुदर्शन चक्र की कथा

surdarshan chakra ki katha

सुदर्शन चक्र एक बार शिवजी को प्रसन्न करने के लिए भगवान विष्णु ने घोर तप किया |भगवान विष्णु ने 1000 कमल एकत्रित किए शिव सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ किया | देवादीदेव भगवान शिव ने भगवान विष्णु के एक कमल को लुप्त कर दिया | जब सहस्त्रनाम का उच्चारण समाप्त करने को हुए जो भगवान श्री हरि को मालूम हुआ कि उनका एक कमल कम बस उन्होंने उसके स्थान पर  भगवान विष्णु  जी ने अपना एक नेत्र निकाल कर शिवजी को समर्पित कर दिया |तब तो देवादीदेव महादेव ने प्रसन्न होकर भगवान श्री हरि को दर्शन दिया और उनके उन नेत्रों की जगह कमल सरीखे के नेत्र प्रदान किए |सभी से श्री हरि विष्णु को पुंडरीकाक्ष नाम से जाना जाता है | भगवान शिव जी ने प्रसन्न होकर विष्णु भगवान को सुदर्शन चक्र प्रदान किया |लिंग पुराण में ऐसी कथाएं है 

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