श्री शिव शंकर शत नामावली
जय महादेव देवाधिदेव ,
भोले शंकर शिव सुखरासी |
जय रामेश्वर जय सोमेश्वर ,
जय घुमेश्वर जय कैलाशी ||
जय गंगाधर त्रिशुलधर शशिधर ,
सर्वेश्वर जय अविनाशी |
जय विश्वात्मन विभु विश्वनाथ ,
जय उमानाथ काटो फांसी ||
सर्वव्यापी अन्तर्यामी शिव ,
रूद्र निरामय त्रय लोचन |
भव भयहारी जय त्रिपुरारि ,
जय मदन दहन जय दुःख मोचन ||
मृत्युंजय आशुतोष अघहर ,
जय बैधनाथ जय वृषभध्वज |
जय लोक नाथ जय मन्मयारि ,
जय जय महेश जय मृंड जय जय ||
जय गौरीपति जय चन्द्रमौली ,
जय जय नीलकंठ जय अभयंकर ||
त्रय ताप हरो सब पाप हरो ,
हर हाथ जोड़ ठाडी किंकर |
कालहु के काल जय महाकाल ,
जय चण्डीश्वर जय सिद्धेश्वर |
जय योगेश्वर जय गोपेश्वर ,
जय निर्विकार जय नागेश्वर ||
जय ब्रह्म – रूप ब्रह्मणय – देव ,
जय धुर्जटे अवढर दानी ||
जय घोरमन्यु जय ज्ञानात्मा ,
सबने ही आन तेरी मानी
जय जय सुरेश जय गिरजापति ,
जय दिशाध्यक्ष जय दिग्वसनम् ||
जय विरूपाक्षं केवल्य प्राप्त ,
निर्वाण रूप , जय इशानम्
व्यालोपवीती जय वामदेव ,
ओकारेश्वर सब दुःख हरणं |
हो प्रेमवश्य करुनामय प्रभु ,
नित भक्तो के आनन्द करना |
जय जय कपर्दी जय स्याणु ,
जय नर्वदेश जय ब्रह्मचारी ||
जय अमर नाथ जय सोमनाथ ,
जय शुलपाणी जय कामारी ||
बाघम्बर रुण्डधारी ,
जय श्मशान वासी बाबा |
मधुर मधुर चंडाति चंड ,
तेरा स्वरूप भोले बाबा |
पशुपति सुरपति निर्वाण रूप ,
जय रवि शनि अनल नेत्रधारी |
हैं शक्ति कहाँ जो गुण गावें ,
महिमा हैं तुम्हारी अतिभारी ||
जय परमानन्द जय चिदानन्द ,
आनन्दकंद जय दयाधाम |
दुनिया से सुनते आये हैं ,
भक्तों के सरे सभी काम ||
जय नन्दीश्वर जय प्रनतपाल ,
जय शम्भु सनातन हर हर हर |
पूरण समर्थ सर्वज्ञ सर्व ,
जय त्रिपुण्डधारी हर हर हर ||
शरणागत हैं प्रभु त्राहि – त्राहि ,
निज भक्ति देहु अरु करो अभय |
जो नाम जपै यह प्रेम सहित ,
उसको नहीं व्यापे कोई भय ||
तेरा नाम मात्र ही जन्म जन्म ,
के पाप भस्म कर देता हैं |
हैं धन्य भाग उस मानव के ,
इतने नाम नि त लेता हैं |
हाथ जौड विनती करू , क्षमा करो सब चुक |
लगी लगन ऐसी कहूँ , रह न सको मैं मुक |
हमें शक्ति प्रभु दीजिये , अहो दया के धाम ||
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