panch bhikhu ki kahani |

पंच भीखू की कहानी

किसी गाँव में एक साहूकार साहुकरानी रहते थे | उनके एक बेटा व बहू थे | बहू कार्तिक माह में नित्य प्रात : उठकर नदी में कार्तिक स्नान के लिए जाया करती थी उसके एक नियम था वो कार्तिक के राई दामोदर जी भगवान के दर्शन से पहले वह किसी भी पराए पुरुष का मुँह नही देखती थी उसी गाँव का एक राजकुमार भी सुबह सवेरे नदी स्नान के लिए जाता था |

एक दिन उसे लगा की कोई  है जो मुझसे भी जल्दी उठकर नहा लेता है कार्तिक माह के पाँच दिन बचे थे कि एक दिन साहूकार की पुत्रवधू तो स्नान कर के वापिस जा रही थी और उसी समय राजकुमार स्नान के लिए आया तो जल्दी जल्दी में साहूकार की पुत्रवधु की पाँव की एक मोचड़ी वही छुट गई |
राजकुमार  ने उसकी मोचड़ी उठा ली और सोचने लगा कि जिस स्त्री की यह मोचड़ी इतनी सुंदर है वह स्त्री कितनी सुंदर होगी | उसने पूरे गाँव में घोषणा करवा दी कि जिसकी यह  मोचड़ी  है वह पाँच रात मेरे पास आएगी | साहूकार की पुत्र वधु ने कहलवा दिया कि मैं पाँच रात ब्रह्ममुहूर्त में आऊँगी लेकिन किसी को साख भरने  [ हामी भरने ] बैठा देना | राजकुमार  ने एकबोलने वाले तोते को पिंजरे में बंद कर नदी किनारे पेड़ पर टाँग दिया | साहूकार की पुत्र वधु सुबह के समय आई, पहली पैड़ी पर पैर रखा और बोली – “हे कार्तिक के ठाकुर राई दामोदरजी , पाँचों पांडू छठे नारायण भीखम राजा उस पापी को नीँद आ जाए” राजा के बेटे को नींद आ गई |
पुत्र वधु कार्तिक स्नान कर जाने लगी तो तोते से बोली – “सुवा-सुवा! तेरे गल डालूँगी मोतिया हार ,में पतिव्रता नार , मेरे सत की लाज रखियों , भरियो मेरी साख  ”.  सुवा ने कहा – ठीक है  मैं तेरी साख भरूँगा | वह तो कहकर चली गई राजकुमार  उठा और सुवा से पूछा – सुवा-सुवा वह आई थी? कैसी थी? सुवा बोला – “आभा की सी बिजली, होली की सी झल, रूप की सी कामिनी, गुलाब का सा रँग”

 

अगले दिन राजकुमार अंगुली चीरकर लेट गया सारी रात दर्द में तडपता रहा | साहूकार की पुत्र वधु दुसरे दिन सुबह के समय आई, पहली पैड़ी पर पैर रखा और बोली – “हे कार्तिक के ठाकुर राई दामोदरजी , पाँचों पांडू छठे नारायण भीखम राजा उस पापी को नीँद आ जाए” राजाकुमार को नींद आ गई |  सुबह राजकुमार ने तोते से फिर पूछा आई थी क्या तो तोते ने सारी बात बतला दी हा आई थी |अब राजकुमार  ने तीसरी रात को वहआँखों में मिर्ची डालकर बैठ गया | सारी रात दर्द में तडपता रहा | साहूकार की पुत्रवधू  फिर आई और प्रार्थना करने लगी “हे कार्तिक के ठाकुर राई दामोदरजी , पाँचों पांडू छठे नारायण भीखम राजा उस पापी को नीँद आ जाए” राजा के बेटे को नींद आ गई |

सुबह राजकुमार ने तोते से फिर पूछा आई थी क्या तो तोते ने सारी बात बतला दी हा आई थी | अब राजकुमार ने सोचा की आज रात को में ठंड में बैठा रहूँगा | राजकुमार ठंड में सारी रात कापता रहा और सुभ ब्रह्म मुहूर्त में उसे नीद आ गई | साहूकार की पुत्र वधु चौथे  दिन सुबह के समय आई, पहली पैड़ी पर पैर रखा और बोली – “हे कार्तिक के ठाकुर राई दामोदरजी , पाँचों पांडू छठे नारायण भीखम राजा उस पापी को नीँद आ जाए” राजाकुमार को नींद आ गई | 

सुबह राजकुमार ने तोते से फिर पूछा आई थी क्या तो तोते ने सारी बात बतला दी हा आई थी | अब चारो रात निकल गई राजकुमार ने सोचा आज की आखरी रात हैं आज तो में मेरी अंगुली जला लूँगा जलन से मुझे नींद नही आएगी सारी रात जलन से तडपता रहा भगवान की कृपा से राजकुमार की सुबह आँख लग गई | साहूकार की पुत्र वधु पांचवे दिन सुबह के समय आईऔर  पहली पैड़ी पर पैर रखा और बोली – “हे कार्तिक के ठाकुर राई दामोदरजी भगवान आपने मेरी इतने दिन लाज रखी हैं आज भी रखना |

उस पापी को नीँद आ जाए” राजाकुमार को नींद आ गई | साहूकार की पुत्रवधू ने तोते से कहा ! हे सुवा ! उस पापी से कह देना मेरी मोचड़ी घर पहुंचा दे |राजकुमार हडबडा कर उठा | राजकुमार ने तोते से फिर पूछा आई थी क्या तो तोते ने सारी बात बतला दी हा आई थी और उसने अपनी मोचड़ी मंगवाई हैं | राजकुमार को पतिव्रता स्त्री के सत को भंग करने का विचार करने के कारण कोढ़ हो गया | राजा जी ने राजकुमार का बहुत से वेद्यो से इलाज करवाया परन्तु कोई दवा का असरनही हुआ |

राजाजी ने आचार्यो को बुलवाया और पूछा ! तब आचार्यो ने बतलाया की राजकुमार को पतिव्रता स्त्री का सत भंग करने का प्रयास किया हैं उसी के पाप स्वरूप इसका अंग अंग जल रहा हैं तब राजा साहूकार की पुत्रवधू को अपनी बेटी बनाया तथा उसके कार्तिक स्नान का पूण्य राजा के लडके को दिया उस पूण्य के प्रभाव से राजकुमार स्वस्थ हो गया तथा उसने अपने कृत्य के लिए क्षमा याचना की |राजाजी और राजकुमार ने सारी नगरी में कहलवा दिया की सब कोई कार्तिक स्नान करे व स्त्रियों का सम्मान करे |

हे पंच भीखू भगवान कार्तिक मास में जैसे साहूकार की पुत्रवधू की लाज रखी वैसे सब की रखना | जय बोलो पंच भीखू भगवान की जय ||

 

 

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