माता यशोदा के द्वारा श्री कृष्ण को उखल से बांधे जाने की रोचक कथा |

Mata Yashoda Ke Dvara Shree Krishan Ko Uakhal Se Bandhne Ki Rochak Katha

श्री कृष्ण एक दिन माता यशोदा भगवान कृष्ण [ अपने लल्ला ] के लिए दही मथने लगी | माता यशोदा अपनी दासियों को अन्य कामों में लगा कर कुछ गुनगुनाते हुए दही मथ  कर माखन बना रही थी उस समय माता यशोदा की छवि अत्यंत सुंदर थी | रेशमी साड़ी का लहंगा पहने हुए अत्यंत सुंदर लग रही थी |  भगवान कृष्ण माता यशोदा के पास आए और माता यशोदा ने कृष्ण को गले से लगा लिया और अपनी गोद में बैठा लिया और गोद में बैठाकर दही मथने लगी | किसी काम से माता यशोदा ने लल्ला श्री कृष्ण को अपनी गोद से नीचे उतारा और अंदर चली गई | इसी बात से भगवान कृष्ण रुष्ट हो गए और उन्होंने दही का मटका फोड़ डाला |अपनी आंखों में आंसू भरे हुए दूसरे मटके में जाकर माखन खाने लगे | थोड़ी देर में माता यशोदा आई और उन्होंने दही के मटके के टुकडे टुकडे देखे तो वह समझ गई कि यह सब मेरे प्यारे लल्ला की ही शैतानी है साथ ही जब उन्होंने देखा कि मेरा लाडला यहां नहीं है तब वह उसको ढूंढने लगी और अपनी हंसी को रोक नहीं पा रही थी अपने छोटे से लल्ला की शरारत देखकर | माता यशोदा ने देखा कि भगवान कृष्ण ऊखल पर खड़े हैं और छींके पर माखन ले लेकर बंदरों को खूब लूटा रहे हैं उन्हें यह भी डर है कि कहीं मेरी चोरी खुल ना जाए इसीलिए चौकन्ना होकर चारों ओर ताक रहे हैं यह देखकर यशोदा रानी पीछे से धीरे-धीरे उनके पास जा पहुंची |  जब भगवान कृष्ण ने देखा कि माता छड़ी हाथ में लिए आ रही है तो वह झट से ऊखली से नीचे कूद पड़े और डर कर इधर-उधर भागने लगे | बड़े-बड़े योगी तपस्वी भी इस रूप को नहीं समझ पाते उनके भगवान के इतने अद्भुत दर्शन माता यशोदा उनका आनंद उठा रही थी |  माता यशोदा थक गई थी सर माथे पर पसीने की बूंदें टपकने लगी थी उनके बालों में लगे हुए गजरे के फूल इधर-उधर बिखरने लगे | भगवान कृष्ण का हाथ पकड़कर उन्हें डराने धमकाने लगी उस समय भगवान कृष्ण की झांकी बड़ी ही विलक्षण प्रतीत हो रही थी अपराध तो किया ही था इसीलिए रुलाई रोकने पर भी नहीं रुक रही थी हाथों से आंखों को मसल रहे थे इसीलिए मुंह पर काजल ही काजल फैल गई थी मां की डांट के भय से आंखें ऊपर की ओर उठ गई थी मां की ओर देखा ही नहीं जाता था जब माता यशोदा जी ने देखा कि लल्ला बहुत डर गया है तब उन्हें हृदय से वात्सल्य स्नेह उमड़ आया और उन्होंने छड़ी फेंक दी इसके बाद माता यशोदा मन ही मन विचार करने लगी कि इसको एक बार बांध तो देना चाहिए नहीं तो यह और भी उधम मचाएगा | माता यशोदा अपने कृष्णा को उसी तरह ऊखल से बांध रही थी तब एक अदभुद घटना घटी | जब माता यशोदा अपने उद्यमी और नटखट लड़के को रस्सी से बांधने लगी तब वे दो अंगुल छोटी पड़ गई तब उन्होंने दूसरी रस्सी उसमें जोड़ी तब वह भी रस्सी छोटी पड़ गई | इस प्रकार माता यशोदा रस्सी के टुकड़े जोड़ने लगी और वह दो उंगली छोटी पड़ने लगी माता यशोदा के यह सब करने से भगवान कृष्ण ने देखा कि मां बहुत थक गई है और उन्होंने मुस्कुराते हुए अपने आप मां के बंधन में बंध गए | भगवान कृष्ण ने माता यशोदा के वात्सल्य के बंधन में बध कर अपने भक्तों को यह सीख दी की मैं प्रेमी भक्तों के बस में हूं | जहाँ भक्त वही भगवान |  भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं को जो जो पढ़ता है उसका संकीर्तन करता है उसके सारे पाप शांत हो जाते हैं जो पुरुष उनका गायन करते हैं भगवत भक्ति में अपना समय व्यतीत करते हैं उनके जीवन में कभी कोई कष्ट नहीं आता वह सदैव शांत और सहज रहते हैं |

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