भगवान नारायण और भगवान शिव के प्रेम की कथा

 

एक बार भगवान नारायण अपने बैकुंठ लोक में सोए हुए थे उन्होंने सपने में देखा कि करोड़ों चंद्रमाओं की क्रांति वाले डमरू धारी भगवान श्री महादेव जी प्रसन्न मुद्रा में नृत्य कर रहे हैं । उन्हें नेतृत्व करते देखकर भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न हुए और अचानक ही उनकी नींद खुल गई और वह उठकर बैठ गए। कुछ देर ज्ञान की अवस्था में बैठे रहे उनके इस प्रकार बैठे हुए देखकर श्री लक्ष्मी जी ने उनसे पूछा हे भगवान ! आपकी इस तरह अचानक बैठने का क्या कारण है। तब श्री विष्णु जी ने कहा है देवी मैं अभी स्वप्न में भगवान श्री महादेव जी के दर्शन किए हैं उनकी छवि ऐसी आनंद में और मनोहर थी की मन प्रसन्न हो गया। भगवान शंकर जी ने मुझे याद किया है है देवी चलो कैलाश चलते हैं और महादेव के दर्शन करते हैं। श्री विष्णु जी और देवी लक्ष्मी दोनों कैलाश की और चल दिए थोड़ा ही दूर ही चले थे कि देखते हैं भगवान श्री महादेव और देवी देवी पार्वती दोनों आ रहे हैं ।

 

 

 

 

 

 

 

भगवान महादेव ने कहा कि चलो कैलाश चलते हैं और भगवान विष्णु जी ने कहा कि चलो बैकुंठ चलते हैं । उसी क्षण वहां नारद जी आ गए। भगवान विष्णु ने कहा नारद जी आप ही बताएं हमें कहां जाना चाहिए ? नरसी तो भगवान का गुणगान करने लगे । तब भगवान विष्णु ने कहा देवी लक्ष्मी आप ही बताएं हमें कहां जाना चाहिए? तब लक्ष्मी जी ने कहा यह देव आप दोनों एक ही है । बैकुंठपुर लोकपुर कैलाश दोनों एक ही है इससे दोनों बहुत प्रसन्न हुए और अपने-अपने लोक में चले गए । भगवान विष्णु जी महादेव जी के आराधना करते हैं और महादेव जी विष्णु जी की आराधना करते हैं । दोनों एक दूसरे के लिए पूजनीय है । दोनों एक ही है। भगवान विष्णु जी ने स्वयं कहा है जो भक्त शिव जी की आराधना करते हैं वह मुझे अत्यंत प्रिय है।

 

 

Any post

 

Shiv chalisa 

Categorized in: