माघ मास तीसरे दिन की कथा

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माघ मास तीसरा अध्याय तब राजा दिलीप कहने लगे कि महाराज यह पर्वत कितना ऊंचा और कितना लम्बा चौड़ा है? तब वशिष्ठ जी कहने लगे कि छत्तीस योजन (एक योजन चार कोस का…

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