गाय दान की महिमा | Gau Dan Ki Mahima , Vidhi

गौ गाय दान में देने की विधि , महिमा

Gau Dan Ki Mahima , Vidhi

गाय दान की महिमा दान से बढकर इस संसार में कोई पूण्य कर्म नहीं हैं क्योकि मृत्यु के पश्चात जीव के साथ कुछ नहीं जाता केवल हाथ से किया हुआ दान का पूण्य ही साथ जाता हैं | यदि जीवन में कोई उपकार नहीं किया बहुत धन कमाया बलवान शरीर बनाया हैं तो उसका कोई लाभ नहीं हैं | परोपकार के बिना सम्पूर्ण जीवन व्यर्थ हैं | प्रतिदिन कुछ न कुछ दान पूण्य अवश्य करना चाहिए | जिस व्यक्ति ने न तो दान किया हैं ना कभी किसी असहाय की मदद की , ना कभी किसी ब्राह्मण को भोजन करवाया , ना कभी किसी प्यासे को पानी पिलाया हैं , ना कभी किसी को वस्त्र दान किया वह जीव जन्म जन्मान्तर दर दर भटकते रहता हैं | पुराणों में गौ दान , भूमि दान , विद्या दान को सबसे श्रेष्ठ बतलाया हैं – ये दान सभी दानो में श्रेष्ठ हैं | ये दान करने से सात पीढियों का कल्याण होता हैं |

गाय दान में देने से पूर्व जानने योग्य बिंदु –

ईमानदारी एवं मेहनत से कमाये पैसे से ली हो |

गाय हष्ट पुष्ट स्वस्थ व दूध देने वाली होनी चाहिए |

ब्राह्मण दयावान व ईमानदारी से जीवन व्यतीत करने वाला चाहिए |

गाय का पालन पोषण करने में समर्थ होना चाहिए |

दान देने का दिन पवित्र व उत्तम तिथि होना चाहिए |

गाय के शरीर पर सभी रंगो से हाथ के निशान त्रिशूल बनाकर सजाना चाहिए |

गाय व बछड़े का सिंगार करना चाहिए |

 वस्त्र माला पहनाना चाहिए |

 

 गाय दान में देने की विधि  –

प्रातकाल स्नानादि से निर्वत होकर पितृ तर्पण कर भगवान शिव का कच्चे दूध से अभिषेक व पूजन करने के पश्चात गाय के दूध दुहने के लिए बाल्टी , डोर , बांस की टोकरी , ब्राह्मण ब्राह्मणी के वस्त्र , पुष्माला आदि का पूजन करना चाहिए |

 ईमानदारी एवं मेहनत से कमाये पैसे से ली हो | गाय हष्ट पुष्ट स्वस्थ व दूध देने वाली होनी चाहिए | ब्राह्मण दयावान व ईमानदारी से जीवन व्यतीत करने वाला चाहिए | गाय का पालन पोषण करने में समर्थ होना चाहिए |

 दान देने का दिन पवित्र व उत्तम तिथि होना चाहिए | गाय के शरीर पर सभी रंगो से हाथ के निशान त्रिशूल बनाकर सजाना चाहिए |

गाय व बछड़े का सिंगार करना चाहिए | वस्त्र माला पहनाना चाहिए |

 गाय व ब्राह्मण का मुख उत्तर दिशा में रखना चाहिए

|गाय के लिए हरी घास , अन्न , जल की व्वयस्था करनी चाहिए | ब्राह्मण को वस्त्र , अन्न व दक्षिणा के साथ ब्राह्मण को गाय का दान करना चाहिए |

गाय की परिक्रमा कर , गाय का सिर स्पर्श कर , गाय की पूछ को पकड़ कर दान करना चाहिए |जब गाय ब्राह्मण लेकर जाये तब गाय के पीछे पीछे कुछ कदम चलना चाहिए |

इस विधि से जो गाय का दान करता हैं , उसे अभीष्ट फल की प्राप्ति होती हैं और उसी क्षण समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं | सात पीढियों का उद्धार हो जाता हैं , तथा स्वर्ग में स्थान प्राप्त करता हैं | गाय का दान सभी पापों का नाश करने वाला हैं |

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