गणगौर की शिव पार्वती जी की कहानी
Gangaur ki shiv parvati ji ki kahani hindi
एक बार भगवान शिवजी देवी पार्वतीजी सहित भ्रमण को निकले। उन्होंने देखा एक गाव में सुंदर रमणीय स्थल में शिव पार्वती मन्दिर था | चैत्र शुक्ल तृतीया के दिन उस मन्दिर में पहुँच गए। शिव पार्वती जी के आगमन का समाचार सुनकर समस्त गाँव की महिलाये उनके पूजन करने जाने लगी |
दूर्वा , पुष्प, खीर खांड के भोजन से मंगल गीत गाकर माँ पार्वती जी से अखण्ड सौभाग्य का आशर्वाद लेने लगी | समस्त गाँव में यह सुचना फैल गई की आज चेत्र शुक्ल तृतया के दिन ईशर गणगौर का पूजन करने से अमर सुहाग अमर पीहर वासा मिलेगा | गाँव की सभी कंवारी कन्याये , सुहागन महिलाये शिव पार्वती को पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त करती जा रही थी | पार्वतीजी ने उनके पूजा भाव को स्वीकार करके सारा सुहाग दे दिया।
माँ पार्वती ने अखण्ड सुहाग सारा सुहाग बाँट दिया | परन्तु गाँव की कुलीन स्त्रियाँ उनके पूजन के लिए सजने सवरने , भोग बनाने में विलम्ब से गई । स्त्रियों मन से विश्वास से जब पूजन समाप्त किया , तब माँ पार्वती ने भगवान से विनती की हे देवाधिदेव ! अब आप ही कोई उपाय बतलाइए जिससे सभी को आशीवाद दूँ | तब भगवान शिवजी ने कहा हे देवी ! आप तो करुणा की सागर हैं | तब माँ पार्वती ने अपनी चिटली अगुली से रोली काजल से छीटा दिया और अखण्ड सौभाग्य का आशीवाद दिया |
तभी से चैत्र शुक्ल तृतीया को सभी कंवारी कन्याये , सुहागिन महिलाये ईशर गणगौर का पूजन कर अखण्ड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं |
|| जय बोलो ईशर गणगौर की जय ||
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