दीपावली का महत्त्व
दीवाली माँ लक्ष्मी के पूजन का त्यौहार
दीवाली पूर्व काल में भगवान विष्णु ने वामन रूप धारण कर दानव राज बलि छलकर इन्द्र को राज्य भार सौप दिया और राजा बलि को पाताल लोक में स्थापित कर दिया | भगवान नें बलि के यहाँ रहना सदा स्वीकार किया | कार्तिक मास कि अमावस्या को रात्रि में सारी पृथ्वी पर दैत्यों की यथेष्ट चेष्टाये होती हैं | इसलिये उनके भय को दुर करने के लिये दीपकों का निरांजन करना चाहिए|
दीपावली [अमावस्या ] के दिन प्रात: काल स्नान कर देवता और पितरों की भक्तिपूर्वक पूजनं तर्पण आदि करें तथा पार्वण श्राद्ध करें | अनन्तर ब्राह्मणों को दूध दही घृत और अनेक प्रकार के स्वादिष्ट भोजन कराकर दक्षिणा प्रदान करें | दीपावली पर सामर्थ्य के अनुसार अपने घर को स्वच्छ करके नाना प्रकार के तौरण – पताकाओं ,पुष्प मालाओं तथा बन्दनवारों से सजाना चाहिये | स्त्री – पुरुष , बालक – वृद्ध जन आदि को उत्तम सुन्दर वस्त्र पहनकर कुमकुम , चन्दन आदि का तिलक कर ताम्बुल [पान ] खाते हुए आनन्दपूर्वक नृत्य – गीत का आयोजन करें | माँ लक्ष्मीजी कि पुजा अर्चना अपने सम्पूर्ण परिवार के साथ शुभ मुहूर्त में करें |माँ लक्ष्मी की को प्रसन्न करने के लिये मिश्री और इलायची का भोग लगाये | अनेक प्रकार की मिठाइयाँ , पकवान से माँ लक्ष्मी को भोग लगाये |
दीवाली पूजा शुभ मुहूर्त
दीवाली 2023
12 नवम्बर 2023
दिवाली पूजन मुहूर्त
Diwali Puja Muhurat 2023
दिन के चौघडिया शुभ मुहूर्त
प्रात: 8 बजकर 08 मिनट से दोपहर 12 बजकर 11 मिनट तक चर , लाभ , अमृत का चौघडिया शुभ
दुपहर 01 बजकर 31 मिनट से 02 बजकर 51 मिनट तक शुभ लग्न
प्रात 11 बजकर 47 मिनट से दोपहर 12 बजकर 3 3 मिनट तक अभिजित का चोघडिया
सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त – प्रदोष काल सायं 05 बजकर 34 मिनट से रात्रि 08 बजकर 08 मिनट तक
रात्रि चौघडिया शुभ मुहूर्त
शाम 5 बजकर 34 मिनट से रात्रि 10 बजकर 31 मिनट तक शुभ , अमृत , चर का चौघडिया
अर्द्धरात्रि 01 बजकर 50 मिनट से अंतरात्रि 03 बजकर 29 मिनट तक लाभ का चौघडिया
अत:रात्रि 05 बजे अगली प्रात: 06 बजकर 48 मिनट शुभ का चौघडिया
रात्रि के श्रेष्ठ मुहूर्त
वृष लग्न – सायं 05 बजकर 48 मिनट से सायं 07 बजकर 45 मिनट तक
सिंह लग्न ——— मध्यरात्री 12 बजकर 18 मिनट से अंतरात्रि 02 बजकर 34 मिनट तक
माँ महालक्ष्मी पूजन विधि –
माँ महालक्ष्मी सम्पतियों , सिद्धियों एवं निधियों की देवी हैं | भगवान श्री गणेश रिद्धि , सिद्धि , बुद्धि , शुभ , लाभ के स्वामी तथा सभी विघ्नी को हरने वाले हैं ये बुद्धि प्रदान करने वाले हैं इनके पूजन से सभी सुख , आनन्द मिलता हैं | माँ सरस्वती विद्या की देवी हैं |
कार्तिक कृष्णा अमावस्या को भगवती माँ महालक्ष्मी , गणेशजी जी , विद्या की देवी सरस्वती का पूजन विधि पूर्वक किया जाता हैं |
स्वच्छ वस्त्र / नवीन वस्त्र धारण करे |
पूजन के लिए एक चौकी ले |
लाल , सफेद , पीला वस्त्र बिछाये |
माँ लक्ष्मी , गणेश जी की प्रतिमा पूर्व दिशा में मुख कर स्थापित करे |
गणेश जी के दाहिने तरफ लक्ष्मी जी को स्थपित करे |
माँ महालक्ष्मी के पास ही किसी पात्र में अष्ट दल कमल बनाकर उसका पूजन करे |
दो दीपक जलाये एक घी का दूसरा तेल का दीपक जलाए |
माँ लक्ष्मी की मूर्ति के सामने घी का दीप जलाये |
चावल से नौ ढेरिया बनाकर नवग्रह पूजन करे |
चावल की सोलह ढेरिया बनाकर षोडश मातृका पूजन करे |
जल से भरा ताम्बे का कलश रखे |
दीपक [ दीपमालिका ] का पूजन करे | किसी थाली मे 11 ,21 , 51 ,101 दीपों को जलाकर माँ के समीप रख उस ज्योति का “ ॐ दिपावलयै नम: ‘ इस मन्त्र से रोली मोली चावल से पूजन करे |
संतरा , ईख , पानीफल , खिली इत्यादि पदार्थ माँ लक्ष्मी को चढाये |
भगवान गणेश [ देहली विनायक ] का पूजन करे |
लेखनी [ कलम ] पर मोली बांध पूजन करे |
तिजोरी पर सिंदूर से स्वस्तिक बनाये |
सभी दीपों को सम्पूर्ण घर में सजाये |
इस प्रकार भगवती महालक्ष्मी का पूजन कर परिवार सहित माँ महालक्ष्मी जी की आरती करे |
आरती करने के लिए एक थाली में स्वस्तिक बनाकर अक्षत , पुष्प , घी का दीपक जलाये | एक दीपक में कपूर के टुकड़े रख कर थाली में रखे |
आरती के समय कपूर निरंतर जलाते रहे |
जल का कलश ले |
घंटी ले |
सभी परिवार जन हाथ में पुष्प ले कर खड़े हो जाये |
परिवार जनों के साथ घंटी बजाते हुए मीठी वाणी से सस्वर आरती करे , आरती के पश्चात पुष्प माँ के चरणों में चढ़ा दे , माँ के जयकारे लगाये , साष्टांग प्रणाम कर आशीर्वाद प्राप्त करे |
अन्य कथाये