छोटी दीपावली , रूप चौदस , नर्क चतुर्दशी का महत्त्व
छोटी दीवली को रूप चतुर्द्र्शी व नरक चतुर्द्र्शी के नाम से भी जाना जाता हैं | यह त्यौहार दीपावली के ठीक एक दिन पहले मनाया जाता हैं | इस वर्ष छोटी दीवाली 13 नवम्बर को हैं |
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्द्र्शी प्रभात के समय नरक के भय को दुर करने के लिए स्नान अवश्य करना चाहिए | अपामार्ग [ चिडचिड़ा ] के पत्र सिर के ऊपर मन्त्र पढ़ते हुए घुमाये | इसके बाद धर्म राज के नामों —– यम , धर्मराज , मृत्यु , वैवस्वत , अनन्तक , काल तथा सर्वभूतक्षय का उच्चारण कर तर्पण करें |
देवताओ कि पुजा करने के बाद नरक से बचने के उद्देश्य से दीप जलाये इस दिन प्रभात काल में घर , नदी , तड़ाग , मन्दिर में दीप प्रज्वलन करने से धन धान्य , सुख़ स्मृधता आती हैं | इसका विशेष महत्त्व हैं |
ऐसी मान्यता हैं की इस दिन प्रभात [ प्रात: जल्दी ] स्नान करने से माँ लक्ष्मी रूप सुन्दरता सोम्यता प्रदान करती हैं | इससे भाग्यवान होतें हैं | तथा संध्या के समय भी समस्त घर , मन्दिर , पनघट , गौशाला , घरों की छतों पर दीप प्रज्वलन करना आवश्यक हैं | इसके दुसरे दिन अमावस्या को माँ लक्ष्मी की आराधना की जाती हैं |
नर्क चतुर्दशी पूजन विधि
इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर उबटन लगाकर , तिल तेल लगाकर स्नानादि से निर्वत सूर्य भगवान को अर्ध्य अर्पित करते हैं |
भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं | भगवान कृष्ण रूप सौन्दर्य प्रदान करते हैं |
संध्या काल में दीप पूजन करे |
संध्या काल में घर की दहलीज पर दीप प्रज्वलित करे |
भगवान गणेश माँ लक्ष्मी का स्मरण कर घर में सुख – शांति , धन – सम्पदा , आपसी सामंजस्य , स्नेह बनाये रखने की प्रार्थना करे |
” ॐ श्रीं श्रिये नम: “
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