अचला सप्तमी [ माघी सप्तमी ] व्रत कथा , व्रत विधि 

Achala Saptami Vrat Katha , Achala Saptami Vrat Vidhi

माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी का व्रत किया जाता हैं | इस व्रत को करने से रूप , सौभाग्य , सन्तान , आरोग्य और अनन्त पुण्य प्राप्त होता हैं | इस दिन भगवान सूर्यनारायण की पूजा अर्चना की जाती हैं | इस व्रत में नमक खाना वर्जित होता हैं |

अचला सप्तमी व्रत विधि

Achala Saptami Vrat Vidhi

सरल पूजा विधि 

28 जनवरी 2023 

प्रातकाल स्नानादि से निर्वत होकर सूर्य भगवान को अर्ध्य प्रदान कर किसी नदी या तालाब पर दीपदान करे |

देवता और पितरो का तर्पण करे |

धुप , दीप नैवैध्य भगवान सूर्यनारायण का पूजन करे |

भगवान सूर्यनारायण से शुख शांति तथा दुखो के नाश की प्रार्थना करे |

यथाशक्ति ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दक्षिणा देवे |

जो स्त्री या पुरुष विधि पूर्वक अचला सप्तमी का व्रत करता हैं उसे सम्पूर्ण माघ स्नान के समान फल मिलता हैं |

अचला सप्तमी व्रत की कथा

Achala Saptami Vrat Katha  

मगध देश में इंदुमती नाम की एक वैश्या रहती थी | एक दिन उसने सोचा की यह संसार नश्वर हैं यहाँ किस प्रकार मोक्ष प्राप्त किया जा सकता हैं |

यह विचार कर वैश्या महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में चली गई और उन्हें हाथ जौडकर विनती की – महाराज ! मैंने जीवन में कभी कोई जप तप दान पुण्य , व्रत , उपवास नहीं किया आप मुझे कोई ऐसा व्रत बतलाये जिसके करने से मेरा उद्धार हो |

वैश्या की विनती सुनकर महर्षि वशिष्ठ मुनि ने कहा माघ मास के शुक्ल पक्ष की अचला सप्तमी का व्रत विधिपूर्वक करने को कहा वैश्या ने विधिपूर्वक अचला सप्तमी व्रत किया | अचला सप्तमी व्रत के प्रभाव से वैश्या बहुत काल तक सांसारिक सुख भोगकर अंत में इंद्र की अप्सराओं में स्थान प्राप्त किया |  

अन्य व्रत

विजया सप्तमी व्रत व्रत कथा

सूर्या षष्ठी व्रत 

रविवार व्रत कथा  

माघी पूर्णिमा