तुलसी के गुण
तुलसी के सेवन से विटामिन ʹएʹ तथा ʹसीʹ की कमी दूर हो जाती है । खसरा के निवारण के लिए यह रामबाण औषधी है ।
किसी भी प्रकार के विषविकार में तुलसी का स्वरस यथेष्ट मात्रा में पीना चाहिए ।
20 तुलसी पत्र एवं 10 कालीमिर्च एक साथ पीसकर हर आधे से दो घंटे के अंतर से बार-बार पिलाने से सर्पविष उतर जाता है । तुलसी का रस लगाने से जहरीले कीड़े, ततैया, मच्छर का विष उतर जाता है ।*
तुलसी के स्वरस का पान करने से प्रसव-वेदना कम होती है । स्वप्नदोष : 10 ग्राम तुलसी के बीज मिट्टी के पात्र में रात को पानी में भिगो दें व सुबह सेवन करें। इससे लाभ होता है । तुलसी के बीजों को कूटकर व गुड़ में मिलाकर मटर के बराबर गोलियाँ बना लें । प्रतिदिन सुबह शाम दो-दो गोली खाकर ऊपर से गाय का दूध पीने से नपुंसकता दूर होता है, वीर्य में वृद्धि होती है, नसों में शक्ति आती है, पाचन शक्ति में सुधार होता है । हर प्रकार से हताश पुरुष भी सशक्त बन जाता है ।जल जाने पर : तुलसी के स्वरस व नारियल के तेल को उबालकर, ठण्डा होने पर जले भाग पर लगायें । इससे जलन शांत होती है तथा फफोले व घाव शीघ्र मिट जाते हैं । विद्युत का झटका : विद्युत के तार का स्पर्श हो जाने या वर्षा ऋतु में बिजली गिरने के कारण यदि झटका लगा हो तो रोगी के चेहरे और माथे पर तुलसी का स्वरस मलें । इससे रोगी की मूर्च्छा दूर हो जाती है ।जलशुद्धि : दूषित जल की शुद्धि के लिए जल में तुलसी की हरी पत्तियाँ डालें । इससे जल शुद्ध व पवित्र हो जाएगा ।