रविवार की आरती

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रविवार की आरती  कहूँ लगी   आरती  दास करेगे , समुन्द्र   जाके  चरणनई  बसे , कोटि  भानु जाके नख की शौभा , भार   अठारह  रमा  बलि  जाके , छप्पन भोग जाके…

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