रक्षाबंधन राखी शुभ मुहूर्त , रक्षासूत्र बांधने की विधि त्यौहार 2023 | Raksha Banadhn [ Rakhi } Bhai Bahan Ka Tayohar2023

रखाबंधन शुभ मुहूर्त बुधवार   30  अगस्त 2023

इस वर्ष  30 अगस्त 2023 को रात्रि 09:02 के बाद भद्रा मुक्त समय में यह पर्व मनाया जायेगा। आवश्यक कार्य होने पर अथवा  विशेष परिस्थिति  हो तो वह भद्रामुख सायं 06बजकर 32मिनट  से रात्रि 08बजकर 13 मिनट तकके समय को छोडकर  पुच्छकाल —- सायं 05बजकर 32 मिनट से सायं 06बजकर 32मिनट  तक के समय में भी रक्षासूत्र बांध सकते है।

 

रक्षा बंधन का त्यौहार इस वर्ष 30 अगस्त गुरुवार  2023    को हैं | 

सुण माड़ने का शुभ समय – 29 अगस्त 2023को भद्रा नहीं हैं अत: सम्पूर्ण दिन सुण मांड सकते हैं |

सुण जिमाने का शुभ समय   – 29  अगस्त मंगलवार 

राखी बंधने का शुभ समय

इस वर्ष 30 अगस्त 2023  को राखी बंधने का शुभ मुहूर्त 

भाई – बहन के प्रेम स्नेह का अनूठा त्यौहार हैं रक्षाबंधन जो प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं | इस दिन को नारियल पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता हैं | रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहन को स्नेह की डोर में बांधे रखता हैं | बहन भाई भाभी भतीजी भतीजा की कलाई पर स्नेह से राखी बांधती हैं और अपने भाई की दीर्घ आयु की मंगल कामना करती हैं | भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देते हैं |

 रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाये

रक्षाबन्धन राखी बांधने की विधि

रक्षाबंधन के दिन स्नानादि से निवर्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान शिव व माँ गौरी का पूजन कर पितृ तर्पण कर सूर्य नमस्कार करे |

राखी बांधते समय यह मन्त्र बोले –

शास्त्रों के अनुसार राखी बांधते समय निम्न मन्त्र का जप उत्तम माना गया हैं |

“ येन बद्धो बलिराजा , दानवेन्द्रो महाबल: तेनत्वाम प्रति बद्धनामि रक्षे , माचल – माचल: “

सर्वप्रथम पितरो को राखी बांधे , आपके घर में लड्डू गोपाल जी हैं तो उनके राखी बांधे अन्य देवी देवताओं के राखी बांध कर  भाई की दीर्ध आयु की मंगल कामना करे अपने भाई व भोजाई की कलाई पर राखी सजाये |

रोली , मोली , अक्षत , कुमकुम , दीपक जलाकर , नारियल , जल का कलश रख रक्षासूत्र से थाली सजाकर शुभ मुहूर्त में भाई के तिलक कर भाई भोजाई व भाई भतीजा की कलाई पर राखी बांधती हैं |

भाई बहन को उसकी रक्षा का वचन देते हुए अपनी बहन की पसंद का उपहार देता हैं | बहन और भाई के स्नेह का अनुपम त्यौहार हैं रक्षाबन्धन राखी पौराणिक काल से मनाया जाने वाला त्यौहार हैं |

रक्षाबंधन की पौराणिक कथा

राजा बली ने जब यज्ञ किया था तब भगवान विष्णु वामन रूप धारण कर राजा बली से तीन पग भूमि मांगकर दो पग में सम्पूर्ण धरती , आकाश , पाताल तीनो को नाप लिया और तीसरा पग राजा बली के सिर पर रख राजाबली की दान शीलता से प्रसन्न हो कुछ मांगने को कहा – तब राजा बली ने कहा हे नाथ चार मास आप पाताल लोक में निवास करना भगवान ने ततास्तु कहा ऐसी मान्यता हैं की तभी से भगवान विष्णु चार मास लक्ष्मी जी को स्वर्ग में छोडकर पाताल में निवास करने लगे |

रक्षाबन्धन के दिन लक्ष्मी जी स्वर्ग से रिमझिम करती हुई उतरी और राजा बली को भाई बनाकर राखी बांधी , भाई – भतीजे , भाभी के राखी बाँधी | तब राजाबली ने उपहार स्वरूप हीरे मोती का थाल भेट करने लगे तब लक्ष्मी जी ने कहा भैया हीरे मोती तो बहुत हैं | मुझे तो मेरे पति दे दीजिये | इस प्रकार स्नेह पूर्वक राजा बलि ने भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी को विदा किया | पौराणिक कथाओ के अनुसार आज भी लक्ष्मी जी अपने भाई को राखी बाँधने आती हैं |

teg :- राखी 2022 

रक्षाबंधन कब हैं 2022 

रक्षाबंधन 11 अगस्त 

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