भगवान सूर्य देव के 108 नाम हिंदी अर्थ सहित |Bhagwan Surydev Ke 108 Nam Hindi Arth Sahit

भगवान सूर्य देव के 108 नाम

भगवान सूर्य देव के 108 नाम ये अमित तेजस्वीभगवान सूर्य देव के 108 नाम भगवानसूर्य के कीर्तन करने योग्य एक सौ आठ नाम हैं जिनका उपदेश साक्षात् ब्रह्माजी ने किया | इन नामों का उच्चारण करके भगवान सूर्य को नमस्कार करना चाहिए | समस्त देवता , पितृ जिनकी सेवा करते हैं , सिद्ध जन जिनकी आराधना करते हैं जिनका क्रांतिमान हैं उन भगवान भास्कर को मैं अपने हित के लिए प्रणाम कर्ता हूँ |

जो मनुष्य सूर्योदय के समय भलीभांति एकाग्रचित होकर सूर्य के एक सौ आठ नामों का जप पाठ करता  हैं वह स्त्री , पुत्र , धन , रत्न राशी पूर्वजन्म की स्मृति धेर्य तथा उत्तम बुद्धि प्राप्त कर लेता हैं |

जो मनुष्य स्नानादि से निर्वत होकर पवित्र चित से शुद्ध चित हो देवेश्वर भगवान सूर्य के नामों का कीर्तन करता हैं , वह मनचाही वस्तुओं को प्राप्त कर लेता हैं |

जो सप्तमी और षष्टि को खेद और अहंकार से रहित हो भक्तिभाव से आपकी पूजा अर्चना कर्ता हैं उस मनुष्य को लक्ष्मी की प्राप्ति होती हैं , उन पर कभी आपति नहीं आती , वे कभी मानसिक चिंताओं से ग्रस्त नहीं होते , वे सम्पूर्ण पापो से रहित होकर चिरंजीवी एवं सुखी होते हैं |

भगवान सूर्य देव के १०८ नाम

सूर्योsर्यमा भगस्त्वष्टा पूषार्क: सविता रवि: ।
गभस्तिमानज: कालो मृत्युर्धाता प्रभाकर: ।।1।।

पृथिव्यापश्च तेजश्च खं वयुश्च परायणम ।
सोमो बृहस्पति: शुक्रो बुधोsड़्गारक एव च ।।2।।

इन्द्रो विश्वस्वान दीप्तांशु: शुचि: शौरि: शनैश्चर: ।
ब्रह्मा विष्णुश्च रुद्रश्च स्कन्दो वरुणो यम: ।।3।।

वैद्युतो जाठरश्चाग्निरैन्धनस्तेजसां पति: ।
धर्मध्वजो वेदकर्ता वेदाड़्गो वेदवाहन: ।।4।।

कृतं तत्र द्वापरश्च कलि: सर्वमलाश्रय: ।
कला काष्ठा मुहूर्ताश्च क्षपा यामस्तया क्षण: ।।5।।

संवत्सरकरोsश्वत्थ: कालचक्रो विभावसु: ।
पुरुष: शाश्वतो योगी व्यक्ताव्यक्त: सनातन: ।।6।।

कालाध्यक्ष: प्रजाध्यक्षो विश्वकर्मा तमोनुद: ।
वरुण सागरोsशुश्च जीमूतो जीवनोsरिहा ।।7।।

भूताश्रयो भूतपति: सर्वलोकनमस्कृत: ।
स्रष्टा संवर्तको वह्रि सर्वलोकनमस्कृत: ।।8।।

अनन्त कपिलो भानु: कामद: सर्वतो मुख: ।
जयो विशालो वरद: सर्वधातुनिषेचिता ।।9।।

मन: सुपर्णो भूतादि: शीघ्रग: प्राणधारक: ।
धन्वन्तरिर्धूमकेतुरादिदेवोsअदिते: सुत: ।।10।।

द्वादशात्मारविन्दाक्ष: पिता माता पितामह: ।
स्वर्गद्वारं प्रजाद्वारं मोक्षद्वारं त्रिविष्टपम ।।11।।

देहकर्ता प्रशान्तात्मा विश्वात्मा विश्वतोमुख: ।
चराचरात्मा सूक्ष्मात्मा मैत्रेय करुणान्वित: ।।12।।

एतद वै कीर्तनीयस्य सूर्यस्यामिततेजस: ।
नामाष्टकशतकं चेदं प्रोक्तमेतत स्वयंभुवा ।।13।।

हिंदी अनुवाद भगवान सूर्य देव के १०८ नाम

  1. अरुण- तांबे जैसे रंग वाला
  2. शरण्य- शरण देने वाला [ शरण वत्सल ]
  3. करुणारससिन्धु- करुणा- भावना के महासागर
  4. असमानबल- असमान बल वाले
  5. आर्तरक्षक- पीड़ा से रक्षा करने वाले
  6. आदित्य- अदिति के पुत्र
  7. आदिभूत- प्रथम जीव
  8. अखिलागमवेदिन- सभी शास्त्रों के ज्ञाता
  9. अच्युत- जिसता अंत विनाश न हो सके
  10. अखिलज्ञ- सभी शास्त्रों में निपूर्ण
  11. अनन्त- जिसकी कोई सीमा नहीं है
  12. इना- बहुत शक्तिशाली
  13. विश्वरूप- सभी रूपों में दिखने वाला
  14. इज्य- परम पूजनीय
  15. इन्द्र- देवताओं के राजा
  16. भानु- एक अद्भुत तेज के साथ
  17. इन्दिरामन्दिराप्त- इंद्र निवास का लाभ पाने वाले
  18. वन्दनीय- स्तुती करने योग्य
  19. ईश- इश्वर
  20. सुप्रसन्न- बहुत उज्ज्वल
  21. सुशील- शील विचारो से युक्त
  22. सुवर्चस्- तेजोमय चमक वाले
  23. वसुप्रद- धन दान करने वाले
  24. वसु- देव
  25. वासुदेव- भगवान श्री कृष्ण
  26. उज्ज्वल- धधकता हुआ तेज वाला
  27. उग्ररूप-क्रोद्ध में रहने वाले
  28. ऊर्ध्वग- आकार बढ़ाने वाला
  29. विवस्वत्-चमकता हुआ
  30. उद्यत्किरणजाल- रोशनी की बढ़ती कड़ियों का एक जाल उत्पन्न करने वाले
  31. हृषीकेश- इंद्रियों के स्वामी
  32. ऊर्जस्वल- पराक्रमी
  33. वीर- (निडर) न डरने वाला , निर्भय
  34. निर्जर- न बिगड़ने वाला
  35. जय- जीत हासिल करने वाला
  36. ऊरुद्वयाभावरूपयुक्तसारथी- बिना जांघों वाले सारथी
  37. ऋषिवन्द्य- ऋषियों द्वारा पूजे जाने वाले
  38. रुग्घन्त्र्- रोग के विनाशक
  39. ऋक्षचक्रचर- सितारों के चक्र के माध्यम से चलने वाले
  40. ऋजुस्वभावचित्त- प्रकृति की वास्तविक शुद्धता को पहचानने वाले
  41. नित्यस्तुत्य- प्रशस्त के लिए तैयार रहने वाला
  42. ऋकारमातृकावर्णरूप- ऋकारा पत्र के आकार वाला
  43. उज्ज्वलतेजस्- धधकते दीप्ति वाले
  44. ऋक्षाधिनाथमित्र- तारों के देवता के मित्र
  45. पुष्कराक्ष- कमल नयन वाले
  46. लुप्तदन्त- जिनके दांत नहीं हैं
  47. शान्त- शांत रहने वाले
  48. कान्तिद- सुंदरता के दाता
  49. घन- नाश करने वाल
  50. कनत्कनकभूष- तेजोमय रत्न वाले
  51. खद्योत- आकाश की रोशनी
  52. लूनिताखिलदैत्य- असुरों का नाश करने वाला
  53. सत्यानन्दस्वरूपिण्- परमानंद प्रकृति वाले
  54. अपवर्गप्रद- मुक्ति के दाता
  55. आर्तशरण्य- दुखियों को अपने शरण में लेने वाले
  56. एकाकिन्- त्यागी
  57. भगवत्- दिव्य शक्ति वाले
  58. सृष्टिस्थित्यन्तकारिण्- जगत को बनाने वाले, चलाने वाले और उसका अंत करने वाले
  59. गुणात्मन्- गुणों से परिपूर्ण
  60. घृणिभृत्- रोशनी को अधिकार में रखने वाले
  61. बृहत्- बहुत महान
  62. ब्रह्मण्- अनन्त ब्रह्म वाला
  63. ऐश्वर्यद- शक्ति के दाता
  64. शर्व- पीड़ा देने वाला
  65. हरिदश्वा- गहरे पीले के रंग घोड़े के साथ रहने वाला
  66. शौरी- वीरता के साथ रहने वाला
  67. दशदिक्संप्रकाश- दसों दिशाओं में रोशनी देने वाला
  68. भक्तवश्य- भक्तों के लिए चौकस रहने वाला
  69. ओजस्कर- शक्ति के निर्माता
  70. जयिन्- सदा विजयी रहने वाला
  71. जगदानन्दहेतु- विश्व के लिए उत्साह का कारण बनने वाले
  72. जन्ममृत्युजराव्याधिवर्जित- युवा,वृद्धा, बचपन सभी अवस्थाओं से दूर रहने वाले
  73. उच्चस्थान समारूढरथस्थ- बुलंद इरादों के साथ रथ पर चलने वाले
  74. असुरारी- राक्षसों के दुश्मन
  75. कमनीयकर- इच्छाओं को पूर्ण करने वाले
  76. अब्जवल्लभ- अब्जा के दुलारे
  77. अन्तर्बहिः प्रकाश- अंदर और बाहर से चमकने वाले
  78. अचिन्त्य- किसी बात की चिन्ता न करने वाले
  79. आत्मरूपिण्- आत्मा रूपी
  80. अच्युत- अविनाशी रूप वाले
  81. अमरेश- सदा अमर रहने वाले
  82. परम ज्योतिष्- परम प्रकाश वाले
  83. अहस्कर- दिन की शुरूआत करने वाले
  84. रवि- भभकने वाले
  85. हरि- पाप को हटाने वाले
  86. परमात्मन्- अद्भुत आत्मा वाले
  87. तरुण- हमेशा युवा रहने वाले
  88. वरेण्य- उत्कृष्ट चरित्र वाला
  89. ग्रहाणांपति- ग्रहों के देवता
  90. भास्कर- प्रकाश के जन्म दाता
  91. आदिमध्यान्तरहित- जन्म, मृत्यु, रोग आदि पर विजय पाने वाले
  92. सौख्यप्रद- खुशी देने वाला
  93. सकलजगतांपति- संसार के देवता
  94. सूर्य- शक्तिशाली और तेजस्वी
  95. कवि- ज्ञानपूर्ण
  96. नारायण- पुरुष की दृष्टिकोण वाले
  97. परेश- उच्च देवता
  98. तेजोरूप- आग जैसे रूप वाले
  99. हिरण्यगर्भ्- संसार के लिए सोनायुक्त रहने वाले
  100. सम्पत्कर- सफलता को बनाने वाले
  101. ऐं इष्टार्थद- मन की इच्छा पूरी करने वाले
  102. अं सुप्रसन्न- सबसे अधिक प्रसन्न रहने वाले
  103. श्रीमत्- सदा यशस्वी रहने वाले
  104. श्रेयस्- उत्कृष्ट स्वभाव वाले
  105. सौख्यदायिन्- प्रसन्नता के दाता
  106. दीप्तमूर्ती- सदा चमकदार रहने वाले
  107. निखिलागमवेद्य- सभी शास्त्रों के दाता
  108. नित्यानन्द- हमेशा आनंदित रहने वाले

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