विनायक शान्ति व्रत | VINAYAK SHANTI VRAT

विनायक शान्ति व्रत विधि

– विनायक – शान्ति व्रत  करने से सभी मानव समस्त आपतियों से मुक्त हो जाते हैं | इसके आचरण से सभी अरिष्ट नष्ट हो जाते हैं | यह विनायक – शान्ति सम्पूर्ण विघ्नों को दुर करने के लिये की जाती हैं | बिना किसी कारण के ही दुखी होना , कार्य में असफल हो जाना , राजपुत्र राज्य को प्राप्त नही कर सकता , कुमारी पति को नही प्राप्त कर सकती , स्त्री पुत्र को , विद्याथी पढ़ नही पाता , व्यापारी व्यापार में लाभ नही पाता और कृषक कृषि कार्य में सफल नहीं होता | इसलिये इन विघ्नों को दुर करनें के लिये विनायक – शान्ति पूजां संपन्न करना चाहिये |

विनायक शान्ति व्रत विधान 

पीले सरसों की खली , घृत और सुगन्धित चन्दन का उबटन लगाकर स्नान कर पवित्र हो जाये | ब्राह्मणओ द्वारा स्वस्तिवाचन कराये | विधिपूर्वक कलश – स्थापना करें और ब्राह्मण अभिमंत्रित जल के द्वारा यजमान का अभिषेक करें और इस प्रकार कहे —–

  विनायक शान्ति व्रत मन्त्र  

सहस्त्राक्ष शतधारमृशिणा वचनं कृतम |

तेन तवामभिशिपन्चामी पावमान्य : पुनन्तु ते ||

भगं ते वरुणो राजा भगं सूर्यो बृहस्पति: |

भगंमिन्द्रश्च वायुश्च  भगं   सप्तवर्षयो ददु |

यत्ते केशेषु दौभाग्य्म सीमन्ते यच्च मूर्ध्नि |

ललाटे कर्णयोरक्ष्नोरापस्तद्रघ्न्तु   ते  सदा ||

मैं तुम्हे अभिमंत्रित कर रहा हूँ , पावमानी ऋचाओ की अधिष्टात्रदेवता युम्हें पवित्र करें | महाराज वरुण ,भगवान सूर्य , ब्रहस्पति , इन्द्र , वायु तथा सप्त ऋषि गण अपना अपना तेज तुममे आधान करे | तुम्हारे केशो ,सीमन्त , मस्तक , ललाट , कानों एवं आखों में जों भी दौभार्ग्य हैं , उसको ये अप,देवता नष्ट करें |

अनन्तर कुश को दक्षिण हाथ में ग्रहण कर सरसों के तेल से हवन करे | मित , सम्मित , साल काल कंटक ,कुष्मांड तथा राजपुत्र के अंत में स्वाहा समन्वित कर हवन करें |

चतुष्पथ कुश बिछाकर सूप में इनके निमित्त बलि – नैवैध अर्पण करे | खिले फूलों तथा दूर्वा से अर्ध्य दे | मण्डल में अर्ध्य प्रदान कर विनायक की माता अम्बिका की पूजां करे और यह प्रार्थना करें — मात ! आप मुझे रूप ,यश ,एश्वर्य , पुत्र तथा धन प्रदान करें और मेरी समस्त मनोकामनाओ को पूर्ण करे `| अनन्तर  सफेद वस्त्र ,सफेद माला और क्ष्वेत चन्दन धारण कर ब्राह्मण को भोजन कराये और गुरु को दो वस्त्र प्रदान करे | इस प्रकार ग्रहों और विनायक की विधिपूर्वक पूजा करने से सम्पूर्ण कर्मो के फल की प्राप्ति होती हैं और लक्ष्मी की भी प्राप्ति हो जाती हैं | भगवान सूर्य , कार्तिकेय एवं महा गणपति की पूजां करके मनुष्य सभी सिद्धियों को प्राप्त कर लेता हैं |

मन से सम्पूर्ण दिवस मन्त्र का जप करना आवश्यक हैं |  

Dharmraj ji ki kahani