वेद व्यासजी की जन्म कथा |

Ved Vyasa ji ki janm katha

वेद व्यासजी की जन्म कथा एक समय की बात हैं , महान तेजस्वी मुनिवर पराशरजी तीर्थ यात्रा कर रहे थे | घूमते हुए | वे यमुना नदी पावन तट पर आये | संयोगवश मुनि ने सुन्दर नेत्रों वाली कन्या को देखा और उस पर आसक्त हो गये | उन्होंने कन्या का हाथ पकड़ लिया | तब सुन्दर नत्रों वाली कन्या ने मुनि को इस प्रकार कहा –  मेरा नाम सत्यवती हैं मैंने एक निषाद कन्या हूँ ‘आपका कुल उत्तम हैं मेरी देह से मछलियों की दुर्गन्ध निकलती हैं , इस कारण मेरा नाम मत्स्यगंधा भी हैं फिरआप मुझ पर इस प्रकार कैसे आसक्त हो गये | मत्स्यगंधा के वचन सुनकर मुनि ने अपने तेज से मत्स्यगंधा को कस्तुरी की सुगंध वाली बना दिया जिसकी खुशबु से चारों और फैल गई |

 

तब उसने कहा मैं एक क्वारी कन्या हूँ यह मेरे लिए अपराध हैं | तब मुनि ने कहा हे मत्स्यगंधा तुम मेरा प्रिय कार्य करने पर भी तूम कन्या ही रहोगी | हे सुन्दरी ! तुमें जो भी अभीष्ट हैं वह वर मांग लो |सत्यवती बोली – आदर प्रदान करने वाले मुनि जी ! आप ऐसी कृपा कीजिये जिससे मेरे माता पिता को कभी इस रहस्य को न जान सके | मेरा कन्या व्रत भंग न हो पाए | हे मुनिवर ! मेरा आपके ही समान बलशाली पुत्र हो , मेरी यह सुगंध सदैव बनी रहे | मैं सदैव नवयुवती बनी रहू |

पराशर जी बोले – सुन्दरी तुम्हारा पुत्र वेदों , पुराणों का रचयिता होगा वेद के रहस्यों को जानने वाला होगा | युगों युगों तक इस संसार में पूज्यनीय रहेगा |तीनों लोको में उसकी प्रतिष्ठा स्थिर होगी |  मुनिवर के यो कहने पर सत्यवती अनुकूल हो गई | सत्यवती ने कहा मुनिवर ये जन समाज देख रहा हैं |तब मुनिवर ण युक्तिपूर्ण वचन सुनकर पराशर जी ने अपने तह से घना कुहरा कर दिया | कुहरा के कारण घना अंधकार छा गया | तत्पश्चात यमुना में स्नान कर मुनि  तुरंत वहाँ से पधार गये |सत्यवती भी पिता के घर आ गई |सत्यवती ने यमुना के तट पर सुन्दर पुत्र को जन्म दिया |जन्म के समय ही वह बालक तुरंत बड़ा हो गया | और अपनी माता से बोला – माता मुझ में असीम शक्ति हैं |मन को तपोनिष्ट बनाकर मैंने आपके गर्भ में प्रवेश किया | अब आप अपनी इच्छानुसार जा सकती हैं , मैं भी तपस्या करने जाता हूँ |

माता ! आपके समक्ष कभी कठिन समय आये तो आप तुरंत मेरा स्मरण करना मैं तुरंत आपकी सेवा में आ जाऊंगा | ऐसा कहकर व्यास जी वहाँ से चले गये |सत्यवती भी अपने पिता के पास चलि आई | यमुना तट पर व्यास जी को जन्म देने के कारण उन्हें द्वैपायन नाम से भी जाना जाता हैं | वेद का विस्तार करने के कारण उनका नाम वेदव्यास पड़ा |पुराण संहिताए तथा महाभारत वेदव्यास जी की रचनाये हैं |