हिन्दू धर्म में देवालयों व मन्दिरों के बाहर घंटिया लगाने की परम्परा ऋषि मुनियों ने शुरू की थी | इस परम्परा को बोद्ध धर्म , इसाई धर्म , ने भी अपना रखा हैं |चर्च में भी घंटी और घंटा लगाया जाता हैं | घंटिया चार प्रकार की होती हैं –

  1.  गरुड घंटी — गरुड घंटी छोटी होती हैं जिसे एक हाथ से बजाया जा सकता हैं | यह घंटी हम सब के घर के मन्दिर में होती हैं | इसकी ध्वनी सबको अत्यंत प्रिय होती हैं |
  2.  द्वार घंटी —– यह घंटी मन्दिर के द्वार पर लटकी होती हैं | यह बड़ी व छोटी दोनों प्रकार की होती हैं |
  3.   हाथ घंटी — पीतल की ठोस एक गोल प्लेट की तरह होती हैं जिसको लकड़ी के एक गद्दे से ठोककर बजाय जाता हैं | मन्दिर में आरती के समय हाथ घंटी का प्रयोग होता हैं |
  4.  घंटा – यह बहुत बड़ा होता हैं | कम से कम 5 फुट लम्बा और चौड़ा होता हैं | इसको बजाने के बाद इसकी आवाज कई किलोमीटर तक जाती हैं |

मन्दिर या घर में घंटी लगाये जाने के पीछे न सिर्फ धार्मिक कारण के साथ साथ वैज्ञानिक कारण भी हैं –

  • वैज्ञानिक कारण –

वैज्ञानिको का कहना हैं की जब घंटी बजाई जाती हैं तो वातावरण में कम्पन पैदा होता हैं , जी वायुमंडल के कारण काफी दुर तक जाता हैं | इस कम्पन के कारण उस क्षेत्र के सभी जीवाणु विषाणु नष्ट हो जाते हैं | जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता हैं |

अत: जिन स्थानों पर घंटी बजाने की आवाज नियमित आती हैं वहाँ का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र होता हैं | इससे नकारात्मक शक्तियाँ हटती हैं | 

                                         धार्मिक कारण

  1. भगवान के सामने हमारी उपस्थति दर्ज हो जाती हैं | मान्यता यह हैं की घंटी की ध्वनी देवी – देवताओ को अत्यंत प्रिय हैं घंटी बजाने से मन्दिर में स्थापित देवी – देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती हैं , उसके बाद की गई पूजा और आराधना का फल अति शीघ्र मिल जाता हैं |
  2. घंटी की मनमोहक एव मधुर आवाज मन मस्तिष्क को आध्यात्मिक भाव की और ले जाने का सामर्थ्य रखती हैं | मन्दिर में घंटी बजाने से मानव के सारे पाप दुर हो जाते हैं | प्रात: व सायंकाल जब भी मन्दिर में पूजा व आरती होती हैं तो एक लय व धुन के साथ घंटिया बजाई जाती हैं जिससे वहाँ उपस्तिथ भक्तों के ,मन में शान्ति और दैवीय उपस्तिथि को अनुभूति होती हैं |
  3. जब स्रष्टि का प्रारम्भ हुआ , तब जों नाद { आवाज } गूंजी थी वही आवाज घंटी बजाने पर आती हैं | घंटी उसी नाद का प्रतीक हैं |
  4. यही नाद ‘ ओंकार ‘ के उच्चारण से भी जागृत होता हैं |
  5. स्कन्द पुराण के अनुसार मन्दिर में घंटी बजाने से सौ जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं |
  6. इसी मान्यता हैं की जिस भी देवी या देवता को अपना इष्ट मानते हैं उन्ही के मन्दिर में अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए संध्या समय मन्दिर में जाकर आरती के समय हाथ घंटी बजाये यह मनोकामना के पूरा होने तक करे |
  7. अन्य व्रत कथाये
  8. लड्डू गोपाल जी सेवा पूजा विधि