भाई दूज की कहानी,यम दिवित्या – व्रत विधि भैया दूज की कहानी
Bhai Dooj Vrat Vidhi , Kahani
शनिवार 06 नवम्बर
कार्तिक मास के शुल्क पक्ष की दिवतिया तिथि को यमुना ने अपने घर अपने भाई यमराज जी को भोजन कराया और यमलोक में बड़ा उत्सव हुआ , इसलिये इस तिथि का नाम यम दिवतिया हैं इसे भैया दूज , भाई दूज के नाम से भी जानते हैं | इस वर्ष यह व्रत 16 नवम्बर सोमवार 2020 को हैं |
भैया दूज 16 नवम्बर 2020
अत: इस दिन भाई को अपने घर भोजन न कर बहिन के घर जाकर प्रेम पूर्वक उसके हाथ का भोजन करना चाहिये | उससे बल, आयुष्य , घर्म , अर्थ , धन धान्य , और अपरिमित सुख़ की प्राप्ति होती हैं | इसके बदले बहन को ढेर सारा प्यार और सम्मान देवें |
यदि बहन ना हो हो धर्म की बहन , चाचा , मामा , भुआ , मोसी की बेटी – ये सब भी आपकी बहन के समान हैं , इनके हाथ का बना भोजन करें और प्यार , सम्मान देवे |
भाई दूज व्रत की कहानी
Bhai Dooj Vrat Kahani
भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था | उसकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था | यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी | वह उनसें बडा निवेदन करती किभैया यमराज इष्ट मित्रों सहित मेरे घर आकर भोजन करे | अपने कार्य में व्यस्त यमराज जी बात को टालते रहे | कार्तिक शुक्ला दिवतिया का दिन आया | यमुना ने इस दिन फिर यमराज जी को भोजन के लिए निमन्त्रण देकर उन्हें अपने घर आने के लिये वचनबद्ध कर लिया |
यमराज जी ने सोचा ”’ मैं तो प्राणों को हरने वाला हूँ | मुझे कोई भी अपने घर बुलाना नही चाहता | बहिन जिस सदभावना से मुझे बुला रही हैं उसका पालन करना मेरा भी धर्म हैं | ” बहिन के घर आते समय यमराज जी ने नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया |
यमराज को अपने घर आया देख यमुना की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा | उसने पूजन कर अनेक व्यंजन परोस कर भोजन कराया | यमुना के द्वारा किये गये आतिथ्य से प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना को वर माँगने को कहा – पर यमुना ने कहा “ भैया ! आप प्रति वर्ष इस दिन मेरे घर आकर भोजन करें | मेरी तरह इस दिन जों बहन अपने भाई को सादर सत्कार करेंके टिका लगाकर नारियल दे उसे कभी तुम्हारा भय न रहें | “ यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य उपहार देकर यमलोककी राह ली |
ऐसी मान्यता हैं की इस दिन जों भाई बहन के घर आता हैं उसे धन धान्य , आयुष्य व अपरिमित सुख़ की प्राप्ति होती हैं उसे जीवन में कभी अकाल मृत्यु का भय नहीं होता हैं | भाई बहन में स्नेह बढ़ता हैं |