कार्तिक स्नान एव प्रमुख व्रत

कार्तिक स्नान कार्तिक मास कि पूर्णिमा से पूर्णिमा तक यह व्रत किया जाता है इस व्रत को करने वाली महिलाओ को सुबह पांच बजे उठकर तारों की छावं में ठंडे पानी से स्नान किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करना चाहिए | स्नान के पश्चात घर या मन्दिर आकर भगवान राधा – कृष्णा ,पीपल , पथवारी , तुलसी ,आवले ,केले कि पूजां करे और रोज पांच पत्थर रखकर पथवारी कि पूजां करे ,रोज कीर्तन करे और दीपक जलाओ | रोजाना कार्तिक माहात्म्य सुने या कहानी सुने | व्रत की समाप्ति के दिन उजमन करे |

नारायण तारायन – पहले दिन तारो का अर्ध्य देकर भोजन करे | दुसरे दिन दोहपर को भोजन करें | तीसरे दिन निराहार व्रत रखे | इस प्रकार कार्तिक मास पूरा करे | श्रधानुसार चांदी का तारा व तेतीस पेडे

बाह्मण को देवे |

तारा भोजन — कार्तिक मास में तारा देखकर भोजन करे | बाद में ब्राह्मण को भोजन  कराकर चांदी का तारा व तेतीस पेडे दान करे |

छोटी सांकली —- इस व्रत में २ दिन भोजन और एक दिन उपवास रखे | अंत में सोने या चांदी की सांकली भगवान के मन्दिर में चढ़ावे , ब्राह्मण को जिमाकर दक्षिणा देवे |

एकातर व्रत — एक दिन भोजन और एक दिन उपवास करे और अंत में ब्राह्मण को जिमाकर दक्षिणा देवे |

चंद्रायन व्रत —- इस व्रत में पूर्णमासी से उतरते कार्तिक की पूर्णमासी तक किया जाता हैं | इसमे पूर्णमासी को उपवास ,एकम को एक ग्रास , दिवितिया को दो ग्रास  इस तरह बबढ़ाकर अमावस्या तक पन्द्रह ग्रास खाने चाहिए { खाने में हलवा बना सकती हैं } अमावस्या के दुसरे दिन से एक ग्रास कम करते जाना हैं ऐसा पूर्णिमा तक करना हैं | हवन कराकर ब्राह्मण को जोड़े से जिमाकर श्रद्धानुसार दान करे |

तुलसी नारायण व्रत —– आवला नवमी से एकादशी तक तीन दिन निराहार उपवास करे ,विष्णु भगवान के समक्ष अखंड ज्योति जलावे ,ग्यारस के दिन तुलसी विवाह कराए ,बारस के दिन ब्राह्मण भोज {जोड़े के साथ }  करवाए , दक्षिणा देकर स्वयं भोजन करे |

अलूना पावंभर खाना —– पुरे मास या पांच दिन या तिन दिन [ बिना नमक ]  का लड्डू या हलवा या और कोई मिठाई भगवान को भोग लगाकर पाव भर खाये | लड्डू में रूपये रख कर गुप्त दान करे |

छोटी पंचतीर्थया व्रत  —— एकादशी से लेकर पूनम तक प्रात जल्दी स्नान कर भगवान का भजन कीर्तन करे इससे पुरे मास का पुण्य मिल जाता हैं |

पंचतीर्थया ——–एकादशी , ग्यारस , बारस  , तेरस , चोद्स ,पूनम के दिन  निराहार उपवास कर ब्राह्मण के द्वारा हवन करा कर पांच तार की बत्ती ,एक बडोतर की भगवान को जलावे ,दीपक की पूजा करे |

उद्यापन  में एकम के दिन पाच जोड़े – जोडे  जिमा  कर यथा शक्ति दक्षिणा और पोशाक देवे सुहाग की सामग्री व चार सुहागन स्त्रीयो को बायना देवे |

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कार्तिक स्नान की कहानी