गाज माता की कहानी
एक राजा और एक रानी थे दोनों जने महल में सो रहे थे । तो रात को गाज माता बहुत जोर से गाजी तो रानी बोली है गाज माता मेरे नवा महीना बेटा हो जावे तो मैं आपके सवा मण सिरा की कढ़ाई कर दूं। तो रानी के नवा महीना लड़का हो गया पर रानी कढ़ाई चढ़ाना भूल गई।
एक दिन गाजती घोरती गाज माता आई और पालने में सोते लड़के ने उठा कर लेगी । और एक भिलनी के घर पर पालन ले जाकर रख दियो । भिलनी बहुत गरीब थी । और उसके कोई बच्चा भी नहीं था । जब पालने में लड़का देखा तो बहुत खुश हुए और उसको बेटे के समान ध्यान रखने लगे । उधर राजा रानी सारी नगरी में डिंडोरी पिटवा दिया कि जो कोई भी मारे लड़का ने देखा भी गाज माता की कहानी
एक राजा और एक रानी थे दोनों जने महल में सो रहे थे । तो रात को गाज माता बहुत जोर से गाजी तो रानी बोली है गाज माता मेरे नवा महीना बेटा हो जावे तो मैं आपके सवा मण सिरा की कढ़ाई कर दूं। तो रानी के नवा महीना लड़का हो गया पर रानी कढ़ाई चढ़ाना भूल गई।
एक दिन गाजती घोरती गाज माता आई और पालने में सोते लड़के ने उठा कर लेगी । और एक भिलनी के घर पर पालन ले जाकर रख दियो । भिलनी बहुत गरीब थी । और उसके कोई बच्चा भी नहीं था । जब पालने में लड़का देखा तो बहुत खुश हुए और उसको बेटे के समान ध्यान रखने लगे । उधर राजा रानी सारी नगरी में डिंडोरी पिटवा दिया कि जो कोई भी मारे लड़का ने देखा भी को समाचार दे बिना बहुत बडो भारी इनाम मिली । तब धोबी बोलो की आपको बेटोभीलनी का घर पालन में सुतो है । राजा ने भील भील ने को बुलाकर पूछा तब भीलनी ने कहा मैं गाज माता को व्रत करता महाने तो गाज माता बैटो देव है
भूल भेलने की सारी बात सुनकर रानी ने गाज माता के सवा मण को सिरो चढ़ाने की बात याद आई । राजा रानी ने पहले गाज माता का दूध धाम से व्रत और उज्जमान किया और सवा मन का सिरा बनाकर कढ़ाई चढ़ाई । गाज माता की कृपा से राजा रानी को बैठो राजा रानी ने दे दिया । और भिलनी के बेटों 9वे महीने बेटो हो गए गाज माता की कृपा से । राजा रानी सारी नगरी में हेलो फिरा दियो की सब कोई गाज माता को व्रत और उजमान करना चाहिए । हे गाज माता ! जिसयो राजा रानी ने दियो वेसो सब न दियो । कहानी कहता , सुनता ने , अपना सारा परिवार ने दीजिए ।
इस कहानी के बाद गणेश जी की कहानी सुनो
को समाचार दे बिना बहुत बडो भारी इनाम मिली । तब धोबी बोलो की आपको बेटोभीलनी का घर पालन में सुतो है । राजा ने भील भील ने को बुलाकर पूछा तब भीलनी ने कहा मैं गाज माता को व्रत करता महाने तो गाज माता बैटो देव है
भूल भेलने की सारी बात सुनकर रानी ने गाज माता के सवा मण को सिरो चढ़ाने की बात याद आई । राजा रानी ने पहले गाज माता का दूध धाम से व्रत और उज्जमान किया और सवा मन का सिरा बनाकर कढ़ाई चढ़ाई । गाज माता की कृपा से राजा रानी को बैठो राजा रानी ने दे दिया । और भिलनी के बेटों 9वे महीने बेटो हो गए गाज माता की कृपा से । राजा रानी सारी नगरी में हेलो फिरा दियो की सब कोई गाज माता को व्रत और उजमान करना चाहिए । हे गाज माता ! जिसयो राजा रानी ने दियो वेसो सब न दियो । कहानी कहता , सुनता ने , अपना सारा परिवार ने दीजिए ।
इस कहानी के बाद गणेश जी की कहानी सुनो