like, share , subscribe and comment

तिल चौथ व्रत की कथा { माघी चौथ } व्रत की विधि , व्रत कहानी , उद्यापन विधि 2024 | Til Chauth , Sankat Chturthi Vrat Katha 2024 

तिल चौथ व्रत माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता हैं | इस वर्ष तिल चौथ वट 29  जनवरी 2024  somvaar को हैं | इस दिन पूजा में श्री गणेश जी व चौथ माता की तिल कुट्टे का भोग लगाया जाता हैं | यह व्रत स्त्रिया अपने पति व पुत्र की दीर्घायु और सफलता के लिए करती हैं | इस व्रत को करने से जीवन में आने वाली बाधाये दुर हो जाती हैं | तिल चौथ व्रत में सुनी जाने वाली सभी कहानिया 

करवा चौथ 

इस दिन स्त्रिया पुरे दिन निर्जला व्रत रख कर शाम को गणेश जी व चौथ माता का पूजन करदिन में  सूर्य को   व रात्रि में चन्द्रमा को अर्ध्य देती हैं | सभी स्त्रियो को इस दिन गणेशजी व चौथ माता का स्मरण करते रहना चाहिए |

gnesh ji ki kahani

 माहि चौथ , संकट चतुर्थी  व्रत  की उद्यापन विधि

जिस किसी भी लडके व लडकी का विवाह हो उस वर्ष तिल चौथ व्रत के दिन सवा किलो तिल या सवा पाव तिल का गुड से बना तिल कुट्टा  चौथ माता व गणेश जी भगवान को चढ़ाना चाहिये , और तेरह सुहागिन स्त्रियो को जिमा कर एक – एक ब्लाउज व सुहाग की सामग्री भेट स्वरूप दे देवे | एक बेस [ साड़ी ब्लाउज पेटीकोट } सुहाग के सब सामान लौंग , बिछिया , सुहाग पिटारी पाँव लग कर सासुजी को दे देना चाहिये |

 

तिल चौथ , संकट चतुर्थी  व्रत की  तिल कुट्टे की कहानी

Til Chauth , Sankat Chturthi Vrat Ki Kahani

किसी शहर में एक सेठ सेठानी रहते थे | उनके कोई सन्तान नहीं थी | इससे दोनों बहुत ही दुखी रहते थे | एक बार सेठानी ने पडोस की स्त्रियो को तिल चौथ का व्रत करते हुये देखा तो पूछा की आप यह किस व्रत को कर रही हैं व इस व्रत को करने से क्या फल मिलता हैं | तब उन्होंने बताया की इस व्रत को करने से धन , वैभव , पुत्र , अमर सुहाग ,प्राप्त होता हैं | घर में सुख़ – शान्ति का वास होता हैं | तब सेठानी बोली की यदि मेरे पुत्र हो जावे तो में चौथ माता गणेशजी को सवा किलो तिल कुट्टा चढ़ा दूँगी |

 

चौथ माता की कृपा से नवे महीने पुत्र की प्राप्ति हो गई ,पर वह चौथ माता को तिल कुट्टा चढ़ाना भूल गई | लड़का बड़ा हो गया और सेठानी को उसके विवाह की चिंता हुई तो उसने चौथ माता को सवा पांच किलो का तिल कुट्टा बोल दिया | लडके की सगाई अच्छे कुल वाली सुन्दर सुशील कन्या से हो गई और लग्न मंडप में फेरे होने लगे | लेकिन भाग्यवश सेठानी फिर भी तिल कुट्टे का भोग लगाना भूल गई , और इससे चौथ माता और गणेश जी कुपित हो गये | अभी तीन ही फेरे पड़े और चौथ माता ने लडके को ले जाकर गाँव के बाहर पीपल के पेड़ पर छिपा दिया | सब लोग अचम्भे में रह गये , की एकाएक दूल्हा कहाँ चला गया ?

कुछ दिन बाद वह लडकी गणगौर पूजने जाते हुये लडकी उस पेड़ के पास से निकली तो पेड़ की कोटर में बैठा दूल्हा बोला  , “ आवो मेरी अर्धब्याही नार आवो | ” तो वह भागी हुई अपने घर गई और अपनी माता को सब घटना कह सुनाई | यह समाचार सुनते ही सभी परिवार जन वहाँ पहुँच और देखा कि यह तो वही जमाई राजा है , जिसने हमारी बिटिया से अधफेर खाये थे और उसी स्वरूप में पीपल पर बैठे हैं , तो सभी ने पूछा कि आप इतने दिनों से यहाँ क्यों बैठे हो , इसका क्या कारण है | जमाई राजा बोले में तो यहाँ चौथ माता के गिरवी बैठा हूँ , मेरी माता से जाकर कहो की वह मेरे जन्म से लेकर अभी तक के बोले हुये सारे तिल कुट्टे का भोग लगाकर और चौथ माता से प्रार्थना करके क्षमा याचना करें | जिससे मुझे छुटकारा मिले | तब लड़के की सास ने अपनी समधन को जाकर सारा हाल सुनाया | तब तो दोनों समधनों ने सवा – सवा मण का तिल कुट्टा गणपति भगवान व चौथ माताजी को पूजन करके , भोग अर्पण करके क्षमा याचना की तो चौथ माता ने प्रसत्र होकर दुल्हे राजा को वहाँ से लाकर बैठा दिया | वहाँ वर – वधु के सात फेरे पुरे हुये , और वर – वधु सकुशल अपने घर के लिए विदा हुए | चौथ माता की कृपा से दोनों परिवारों में खुशहाली हुई |

 

हे चौथ माता ! जैसा उस लडके के साथ हुआ वैसा किसी के साथ  न हो और कोई भी भगवान के बोला हुआ प्रसाद चढ़ाना न भूले |

|| गणेश भगवान व तिल चौथ माता की जय ||

 

 तिल चौथ , संकट चतुर्थी व्रत  की कहानी – २

दो देवरानी जेठानी थी | जेठानी के बहुत धन था देवरानी गरीब थी | देवरानी भगवान गणेश जी की बहुत आराधना करती थी | वो अपनी जेठानी के घर रोज आटा पीसने के लिए जाती थी | जिस कपडे से आटा छानती थी , वो कपड़ा उसके घर लाकर पानी में धो लेती और अपने पति को घोलकर पिला देती | एक दिन जेठानी के बच्चो ने देख लिया व अपनी माँ से बोले कि माँ – माँ चाची तो अपने घर से आटे का कपडा ले जाकर चाचाजी को घोलकर पिला देती है | इस पर  जेठानी ने देवरानी को कहा घर जावों तो आटे छानने का कपडा यही रखकर जाया करो | देवरानी ने वैसा ही किया | घर गई तो उसका पति बोला मुझे चूर्ण घोलकर पिला दो | देवरानी बोली की उसने आटा छानने वाला कपड़ा वही रख लिया है | इसलिये मरे पास आपको खिलाने के  लिया कुछ भी नहीं है | उस दिन उसके पतिने  भूख से व्याकुल होकर उसको लकड़ी ही लकड़ी से खूब मारा | भाग्यवश  उस दिन तिल चौथ माता का व्रत था |

श्री गणेश जी का स्मरण करती हुई वह भूखी ही सो गई | तभी थोड़ी देर बाद श्री गणेश भगवान ने आकर कहा , की आज तो तिल चौथ व्रत  है , और तू भूखी क्यू सो रही है | तब देवरानी ने सारा वृत्तान्तकह सुनाया | तब भगवान बोले की आज मैने तिल चौथ के कारण चूरमा व तिल कुट्टा बहुत खाया है | इसलिये निमटने की मन है , सो कहा जाऊ | वह बोली महाराज बहुत जगह पड़ी है चाहो जहा चले जाओ | गणेश जी ने सारा घर सन  दिया | निबटने जाकर बोले पोछू   कहा वह बोली मेरा लिलाट पड़ा है पोंछ लो  | गणेश जी पोंछ कर चले गए | थोड़ी देर बाद उठकर देखा ती सारा घर हीरे – मोती से जगमगा रहा था | सारा सिर भी सोने की आभा से चमक रहा रहा था | धन को बटोरने मे देर हो गई इसलिये जेठानी के नहीं जा सकी |जेठानी ने अपने बच्चो को चाची के घर देखने के लिये भेजा की चाची क्यों  नहीं आई है ? बच्चो ने आकर अपनी माता से कहा की माँ – माँ चाची के घर में  अब बहुत धन हो गया है |

जेठानी भागी – भागी अपनी देवरानी के पास आई और पूछा की इतना धन कैसे हुआ ? भोली – भली देवरानी ने सारी घटना सच – सच बता दी | इतना सुनकर जेठानी अपने घर आई और अपने पति को बोली की मुझे लकड़ी ही लकड़ी से बहुत मारो | देवरानी को देवर जी ने बहुत मारा इसलिये उसके बहुत धन हो गया | उसका पति बोला – भाग्यवान अपने अन्न धन के भंडार भरे हैं  तू धन के लालच में  क्यों मार खाती है | लकिन वो नहीं मानी और बहुत मार खाकर अपना  मकान खाली करके गणेश जी का स्मरण करके सो गई | गणेश जी महाराज आये ,और कहने लगे ,फालतू में मार खाने वाली उठ और मुझे बता की मै कहा निमटने जाऊ तब वो बोली मेरी देवरानी का छोटा – सा मकान था, मेरे तो बहुत बड़ा मकान है जहा इच्छा हो वही चले जाओ गणेश जी ने निमटना कर लिया | अब बोले पुछु कहा तू जिठानी ने गुस्से से  बोली मेरा लिलाट पड़ा है | पोछ कर चले गये थोड़ी देर बाद आकर देखा तो सारा घर सड रहा था और बदबू आ रही थी| तब वो बोली , हे गणेश जी महाराज ! आपने मेरे साथ छल – कपट किया है | देवरानी को तो धन – वैभव दिया और मुझे कूड़ा दिया |

गणेशजी आये और बोले तूने  धन के लालच में  मार खाई | जेठानी क्षमा – याचना करने लगी | हे गणेशजी भगवान ! मुझे तो धन नहीं चाहिये यह सब पहले की तरह कर दो | तब गणेशजी बोले कि अपने धन में से आधा धन देवरानी को दे जब ही में अपनी माया ठीक करूंगा | जेठानी ने आधा धन देवरानी को दे दिया | परन्तु कही एक सुई धागा रह गया जब जेठानी ने सुई धागा देवरानी ने दिया तब भगवान गणेश जी अपनी लीला समाप्त कर दी |

रिद्धि – सिद्धि के दाता गणेशजी भगवान ! जैसा आपने जेठानी के साथ किया वैसा किसी के साथ नहीं करना | जैसे देवरानी के भंडार भरा वैसे सभी के भरना | कहानी कहने , सुनने हुंकारा भरने वालो की मनोकामना पूर्ण करना |

गणेश जी भगवान की कहानी 

लपसी तपसी की कहानी

अन्य समन्धित कथाये

कार्तिक स्नान की कहानी 2 

कार्तिक मास में राम लक्ष्मण की कहानी 

इल्ली घुण की कहानी 

तुलसी माता कि कहानी

पीपल पथवारी की कहानी

करवा चौथ व्रत की कहानी

आंवला नवमी व्रत विधि , व्रत कथा 

लपसी तपसी की कहानी 

देव अमावस्या , हरियाली अमावस्या

छोटी तीज , हरियाली तीज व्रत , व्रत कथा 

रक्षाबन्धन शुभ मुहूर्त , पूजा विधि 15 अगस्त 2019

कजली तीज व्रत विधि व्रत कथा 18 अगस्त 2019

भाद्रपद चतुर्थी व्रत कथा , व्रत विधि

नाग पंचमी व्रत कथा

हलधर षष्ठी व्रत विधि व्रत कथा [ उबछठ ]

जन्माष्टमी व्रत विधि , व्रत कथा

गोगा नवमी पूजन विधि , कथा

सोमवार व्रत की कथा

सोलह सोमवार व्रत कथा व्रत विधि

मंगला गौरी व्रत विधि , व्रत कथा

स्कन्द षष्टि व्रत कथा , पूजन विधि , महत्त्व

ललिता षष्टि व्रत पूजन विधि महत्त्व

कोकिला व्रत विधि , कथा , महत्त्व

 

 

 || बोलो गणेश जी भगवान चौथ माता की जय ||  

यदि आपको तिल चौथ , माहि चौथ , संकट चतुर्थी व्रत पर लिखी  कहानी आपको पंसद आयी  हैं तो इसे फेसबुक , ट्विटर , गूगल और व्हाट्सएप्प पर जरुर शेयर करे व कमेन्ट्स के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करे | इसके  बाद गणेश जी की और  पतिव्रता स्त्री शैव्या की कहानी सुने |

अन्य व्रत त्यौहार :-

तिल चौथ व्रत में सुनी जाने वाली पतिव्रता स्त्री की कहानी 

मंगलवार व्रत की कथा

भगवान कृष्ण के प्रसिद्ध मन्दिर 

श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत विधि , व्रत का महत्त्व 

राधा जी की आरती

आरती खाटू श्याम  जी की 

आरती गोवर्धन भगवान जी की