सोमवार , सौलह सोमवार ,सौम्य प्रदोष व्रत का महत्व , व्रत विधि 

 सौलह सोमवार मैं सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला सोमवार व्रत का वर्णन करती हूँ | सभी व्रतो में श्रेष्ट यह  व्रत हैं | इस व्रत को करने से विवाह योग्य कन्या को उत्तम वर , उत्तम गुण , रूप सौन्दर्य तथा स्त्रियों को अनेक गुण वाली सन्तान , सुवर्ण , वस्त्र ,और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं | तथा पति पत्नी का कभी वियोग नहीं होता तथा अंत में शिव लोक में निवास करते हैं | यह व्रत एश्वर्य को प्रदान करने वाला हैं | जिस घर के स्त्री पुरुष इस व्रत को करते हैं उस घर में हमेशा भगवान शंकर तथा माँ पार्वती की कृपा रहती हैं |

व्रत विधि —- सोमवार के दिन प्रात: स्नानादि से निर्वत हो , पंच गव्य तथा चन्दन मिश्रित जल से गौरी और भगवान शिव , और शिव परिवार को स्नान कराकर ,धुप ,दीप ,नैवैध्य तथा नाना प्रकार के पुष्प और फलों के द्वारा उनकी पूजा करे | इसके बाद अंग पूजा करे —-

ॐ पाटलाये नम: , ॐ शम्भवे नम; , ऐसा कहकर पार्वती और शम्भु के चरणों की , त्रियुगाये  नम: , ॐ शिवाय नम: , से दोनों गुल्फों की , विजयाये नम: , ॐ भद्रेस्र्व्राय नम; , से दोनों जानुओ की , ॐ ईशान्ये नम:  , ॐ हरिकेशाय नम: , से कटी प्रदेश की , ॐ कोटव्ये नम: , ॐ शूलिने नम: , से कुक्षियों की , ॐ मंगलाय नम: , ॐ शिवाय नम: , से उदर की , ॐ उमायै नम: , ॐ रुद्राय नम: , से कुचद्वय की , ॐ अनन्ताये नम: , ॐ त्रिपुरघनाय नम: , से दोनों हाथो की पूजा करे |ॐ भवान्यै नम: , से दोनों के कण्ठ की , ॐ गौर्यै नम: , ॐ हराय नम: , से दोनों के मुख की तथा ॐ ललिताय नम: , ॐ सर्वात्मने नम: से दोनों के मस्तक की पूजा करे | दिन में एक समय भोजन करे |

सोमवार के व्रत तिन प्रकार के होते हैं – साधारण सोमवार , सौम्य प्रदोष और सौलह सोमवार व्रत कथा तीनों की अलग – अलग हैं  | जों आगे दी गई हैं |

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