मासिक कृष्णाष्टमी व्रत की महिमा 

Masik Krishnashtami Vrat Ki mahima 

प्रत्येक मास की अष्टमी तिथि को कृष्णाष्टमी के नाम से जाना जाता हैं | मासिक कृष्णाष्टमी व्रत करने से पापो तथा भय का नाश होता है | यह व्रत सभी मनोकामनाओ को पूर्ण करने वाला व्रत हैं | इस व्रत में बारह महीने भगवान शिव का पूजन करना चाहिये | इस मासिक कृष्णाष्टमी व्रत को जो व्रती श्रद्धापूर्वक लगातार एक साल तक करता हैं , वह सभी कष्टों से मुक्त होकर धन धान्य से परिपूर्ण होकर उत्तम एश्वर्य को प्राप्त करता हैं | जो इस व्रत के महात्म्य को सुनता हैं उसे अतुल्य वैभव की प्राप्ति होती हैं |

 

मासिक कृष्णाष्टमी व्रत विधि

[ Masik Krishnashtami Vrat Vidhi In Hindi ]

मार्गशीर्ष मास की अष्टमी तिथि श्रद्धा पूर्वक व्रत का नियम ग्रहण करना चहिये |

प्रातकाल स्नानादि से निर्वत होकर गंध , पुष्प , धुप , दीप , नेवेध्य , ताम्बुल [ पान ] आदि सामग्री से शिवलिंग का पूजन करना चाहिए |

पूजन के पश्चात काले तिल से हवन करना चाहिए |

गोमूत्र पीकर भूमि पर सोना चाहिए |

ब्राह्मणों को भोजन करवाकर यथा शक्ति दान दक्षिणा देना चाहिए |

इस मासिक कृष्णाष्टमी का बारह महीने श्रद्धापूर्वक व्रत करने से सभी मनोकामनाये पूर्ण हो जाती हैं |

मासिक कृष्णाष्टमी व्रत की विशेताये

 

 

Importance of Masik Krishnashtami 

मार्गशीर्ष मास में तीर्थ स्थान या नदी , तालाब में स्नान कर शिवलिंग का विधि पूर्वक पूजन कर गोमूत्र का पान कर भूमि पर शयन करना चाहिए |

 पौष मास की कृष्णाष्टमी को शम्भु नाम से महेश्वर का पूजन कर घी का पान [ पीना ] करना चाहिए |

माघ मास की कृष्णाष्टमी को महेश्वर नाम से भगवान शंकर का पूजन कर गाय के दूध का पान करना चाहिए |

फाल्गुन मास की कृष्णाष्टमी को महादेव नाम से भगवान शिव का पूजन कर तिल खाना चाहिए |

चेत्र मास की कृष्णाष्टमी को स्थाणु नाम से पूजन करना चाहिए तथा शुद्ध सात्विक भोजन करना चाहिए |

बैशाख मास की कृष्णाष्टमी को शिव नाम से शिवजी का पूजन कर कुशोदक पान करना चाहिए |

ज्येष्ठ मास की कृष्णाष्टमी को पशुपति नाम से शिवजी का पूजन कर गोमूत्र का पान करना चाहिए |

आषाढ़ मास की कृष्णाष्टमी को उग्र नाम से भगवान शंकर का पूजन कर गोमय – प्राशन  [ गाय के दूध से बने ] करना चाहिए |

श्रावण मास की कृष्णाष्टमी को शर्व नाम से भगवान शंकर का पूजन कर अर्क प्राशन करना चाहिए |

भाद्रपद मास की कृष्णाष्टमी को त्र्यम्बक नाम से भगवान शिव का पूजन कर बिल पत्र का सेवन करना चाहिए |

आश्विन मास की कृष्णाष्टमी को भव नाम से भगवान शंकर पूजन कर चावल खाना चाहिए |

कार्तिक मास की कृष्णाष्टमी को रूद्र नाम से भगवान शंकर का पूजन कर रात्रि में दही का पान करना चाहिए |

 

 

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