भगवान के समक्ष दीप प्रज्वलित करने का महत्व

देवी देवताओ की पूजा में दीपक जलाने का विशेष महत्व हैं | भगवान की पूजा में घी या तेल का दीपक जलाने का विधान हैं | दीपक , धुप , अगरबत्ती जलाये बिना भगवान की पूजा की कल्पना भी नहीं कि जा सकती | हिन्दू धर्म में सभी जन श्रद्धा से संध्या आरती के समय व प्रातकालिन पूजा में दीपक जलाया जाता हैं |

घर में दीपक जलाने से घर में सकारात्क उर्जा उत्पन्न होती हैं | मन में भगवान के प्रति श्रद्धा की भावना रहती हैं व शुभ शक्तिया व सुख समृद्धि का वास होता हैं | सच्चे मन से भगवान की पूजा करने के लिए किसी भी प्रकार की आवश्यकता नहीं होती | गाय के घी के दीपक से की गई पूजा शुभ मानी गई हैं | घी या तेल के अलावा दीपक जलाना वर्जित हैं | अग्नि पुराण के अनुसार घी का दीपक शुभ माना गया हैं |

पूजा में दीपक जलाते समय नियमो का पालन आवश्यक हैं |

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दीप मन्त्र

 

दीप प्रज्वलित करने के नियम

दीपक को भगवान के समक्ष प्रज्वलित करने से पहले घी के दीपक को दायी और तथा तेल के दीपक को बायी और रखे |

दीपक को सदैव दीवट या अक्षत आदि पर रखना चाहिए | सीधे जमीन पर रखना मना हैं |

दीपक प्रात: नित्य पूजा के समय तथा संध्या दीप सूर्यास्त के समय जलाना चाहिए |

दीपक भगवान की आराधना जप तप पाठ करते समय सच्ची श्रद्धा से जलाये |

भगवान के समक्ष दीपक जलाने से बुद्धि निर्मल और सात्विक रहती हैं |

वैदिक सनातन धर्मशास्त्रसम्मत भगवान की पूजा का विशेष महत्व हैं | जो मानव को श्रेय कल्याण प्रदान करती हैं |

जो व्यक्ति श्रद्धा भक्ति से जीवनपर्यन्त प्रतिदिन यथाशक्ति दीपक प्रज्वलित कर अपने इष्ट देव का ध्यान करता हैं , उसकी बुद्धि आत्म निष्ठ हो जाती हैं |

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